Sunday, March 29, 2009

संहितम वयम !


।।
जिसमे परस्पर हित मंगल मय हों ! ।।


हम कोई रचनाकार नहीं । लेकिन हिन्दी ब्लागरों की रचनाओं के रसास्वादन का आनंद उठाते हैं । आपके लेखन पर 'टिप्पणियां 'करते हैं । सार्थक संवादों में हिस्सा लेते हैं । हिन्दी ब्लॉग जगत का पाठकीय हिस्सा बनना चाह रहे हैं । हम आपमें से ही एक हैं । हम सब एक हैं और हमारे
हित भी परस्पर एक हैं हम भी सहयोग समन्वय का हिस्सा हो सकते हैं । हम अपनी सदभावनाएँ सभी से बाँटेंगे । सबके प्रेम स्नेह के सहभागी होंगे । मित्रवत आपके बीच बने रहेंगे । आपके सुझावों का आदर करेंगे । आपकी टिप्पणियां भी हमारा आनंद होंगी और सुझाव मार्गदर्शन । भविष्य में यही हमारा स्वरुप भी तय करेगा । हम एक विचार मात्र हैं इसी उद्देश के । 'व्यक्ति ' नहीं बल्कि इन्हीं विचारों का समूह हैं , हम 'सम्मु ' हैं ,समन्वित हैं .

अपना सहयोग,प्रेम ,स्नेह बनाये रखें ताकि हम समन्वित हों । समन्वित रहें ।

सबका सादर आभार !


7 comments:

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  2. Aapki tippaneeka jawab to diya tha..!

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  3. पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ की आपको मेरी शायरी और पेंटिंग पसंद आई!
    मुझे आपका ब्लॉग बहुत ही अच्छा लगा! बहुत ही सुंदर लिखा है आपने! ऐसे ही लिखते रहिये और हम पड़ते रहेंगे!

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  4. aap kahte hai aap rachnakaar nahi hai..par likhte to khub hai...

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  5. ab mera article maujood hai...galateese sirf sheershakpe "click" kar diyaa tha...aapne baksha nahee...chaliye kabhi aapkibhee baaree aahee jayegee...

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  6. बीच-बीच में कुछ लिखा भी करें न!

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